Mansi savita

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लेखनी प्रतियोगिता -19-Nov-2023

पुरुष के लिए एक कविता है

तुमने चलना तो सिखाया  राह में कौन कैसा है ये बेखूबी बताया है
पर आंखों में आंसू आ नही सकते
मर्द है आखिर सबकी ये सोच में कितना दर्द छिपाया है
पुरुष  में जाने कितने पुरुष ऐसे है
जो स्त्री की इज्जत करते है
उनकी सोच अलग है 
प्रेम कर के छोड़ नही जाते बल्कि 
अपनी प्रेमिका को देवी से पूजते है
पुरुष वो क्या बताए कितने जिम्मेदारी है कंधे मे
पर सब ठीक है कहते कारोबार धंधे में
जाने कितनी मीलों गाड़ी से दूर काम को जाते है
थकते वो भी है पर घर की मुस्कान देख सारे दर्द भूल जाते है
हुआ मुनाफा या नुकसान झेल सब लेते है
जाने कितने दर्द में होकर भी बच्चे के संग खिलौने से खेल लेते है
मां पिता का ख्याल ,पत्नी से प्यार
बच्चो से लाड सबको वक्त वो देते है
बॉस के ताने , सुन शुरुआत काम की होती है
दोस्त के संग खा खाने भूल सब जाते है
दर्द कितने है बयान कर नही पाते
जब सोचते है आज बताऊंगा अपने दुख दर्द शायद मन हल्का हो जाए
तो मां कभी अपनी दवा की लिस्ट बताती
पत्नी अपनी शिकायत का पिटारा खोल जाती
सबकी बातें सुन वो सारे शिकवे मिटाता है
कोई रुसवा न रहे तो खामोशी से दर्द छिपाता है।।

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4 Comments

Gunjan Kamal

20-Nov-2023 05:30 PM

👏🏻👌

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Babita patel

19-Nov-2023 09:54 AM

👌

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KALPANA SINHA

19-Nov-2023 02:21 PM

सुंदर काव्य

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